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haa wo mera ek ehsaas ha

Haa wo mera ek ehsaas ha 
Jisko shwanso me
Mehsoos Kia maine 
Wo maddham hasi uski
Jaani pehchani si
Sawan ki pehli barish si
Apne me vyast, 
Agyat thi woh 
Ki mai piro raha tha
Usko apni shwaaso mein
Chanchal lehro si wo
Meri kala me praan bharti
prakarti niharoo ya usko 
Dono ek hi baat thi 
Wo chattan ke Shikhar si
musafir mai neeche khada
Wo Aseem akaash thi
badal mai usme udta hua
yeh nata kaisa usse jud gya
Gehri saanso me bas gya
Na hokar bhi wo mere paas ha
Is wapasi k Safar me bhi
Yaadein uski mere sath ha 
Haa wo mera ek ehsaas ha
Haa wo mera ek ehsaas ha

In the memories of returning with you..!!
Date - 13th Aug 2022
Kollam to Bangalore
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I can not make you understand with my words if you are not able to understand me in silence. And i always think that why your eyes recognised me but you did not? May be your wings also tied up to fly high and enjoy the wonder of this limitless sky. Thanks for letting it go.

काश कोई होती

काश कोई होती जिस पर कविता कभी गज़ल लिखते कोई खूबसूरत  हसीन  नाम जिसका कादंबरी कभी मुमताज महल लिखते निर्मल होता मन जिसका पावन पवित्र ऐसा कभी उसको नर्मदा कभी गंगाजल लिखते गहरी आंखें जैसे कोई सागर मंत्रमुग्ध करती उसको कभी झील का कमल लिखते बातें ऐसी जो  अस्तित्व भुला दे डूब कर उसके भावों में जीवन का हल लिखते साथ होता ऐसा जैसे रात में चांदनी भूल कर गमों को अपने साथ उसके अपना कल लिखते छुपा लेती मुझे बचा लेती मुझे जीवन की धूप से साए को उसके अपना आंचल लिखते झटकती सुखाती अपने बालों को ऐसी बरसात की घटाओं का रंग काजल लिखते नहा कर  उसके प्यार में सब पाप मिट जाते ऐसे यार को पहली बरसात का बादल लिखते कोई पछतावा न रहता जीवन में हार जाने का जब नाम उसके साथ अपना पागल लिखते उसकी हंसी को संगीत बना कर जीवन का गीत पल पल लिखते अब वो नही है तो हमे क्या खबर कि हम  क्या क्या लिखते। (मेरे यार कविकास की अधूरी रचना ) *****

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