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Showing posts from April, 2020

लेली मेरी-(तस्सल्ली से)

व्यर्थ का ज्ञान भर भर के मुझ पर क्यूँ यूँ थोप दिया,  पांच साल का था जब मैं,  कंधो पर यूँ बस्ते का बोझ दिया ! गिरते पड़ते मैं बोला खुद से, हाय इन ज़ालिमों ने  लेली मेरी---( तस्सल्ली से) टॉफी चॉकलेट दिखा दिखा कर,  प्रथम आने पर यूँ जोर दिया,  इतिहास, विज्ञान, गणित को पढ़ कर  मैंने अपना माथा फोड़ लिया ! आँखे तरसी, मन भी तरसा,  रो-रो कर मैं बोला खुद से, हाय इन ज़ालिमों ने,  फिर से लेली मेरी---( तस्सल्ली से) हर चीज़ को एक होड़ बनाया  होड़ की दौड़ में हमको दौड़ाया, बिन जाने हम भी बन गए घोड़े,  खाकर चना और कोड़े,  फिर दौड़-दौड़ कर हम बोले खुद से, हाय इन ज़ालिमों ने  लेली  हमारी---( तस्सल्ली से) केबल, थिएटर डिश इत्यादि, सब पर लग गए ताले, क्यूंकि नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज ने, जेबो से सबके कच्छे फाड़े !  ब्लॅंकेटस के अंधेरो में, हमने भी खूब धूम मचाई, आँखें फोड़ी लग गया चश्मा, तब जाकर समझी हमने सच्चाई ! अब हम कहते सदमे में धीरे से, हाय इन ज़ालिमों ने,  लेली हमारी ---( तस्सल्ली से) एक से एक से न्यू ऍप  विद न्यू फीचर्स लायी  सोशल मीडिया कम्पनीज

My Imagination

Perhaps, if I could sit on the moon, and write a poem on its soon. I could write about its beauty, while having a sip of my coffee. But here things are not so real, like the grass isn't greener by near. Your imaginary beauty from here, gets fail when I come to you there. I craved to see you from near, & this craving left me in fear. Now I've become a great seer, seeing departure takes us very near. Sometimes come in my dream & ping, Do adoring dance when I sing. I do imagine a lot of things, You flow as fragrance,  & I become a wind. OH MY LOVE I do imagine a lot of things, because it doesn't cost me anything. ______________________

डिग्रियों के बोझ में ये दबा इंसान

डिग्रियों के बोझ में ये दबा इंसान, बनना चाहे सी.ए. डॉक्टर वकील जैसा बड़ा इंसान  चाहे उड़ना आसमानो में  ये इंसान, किन्तु किताबो के बोझ ने परो को न दी उड़ान डिग्रियों के बोझ में ये दबा इंसान, बनना चाहे सी.ए. डॉक्टर वकील जैसा बड़ा इंसान  रो रो कर किताबो को यूँ दिल से लगाया, बचपन फिर जवानी को यूँही गवाया  रखा भविष्य बनाने में सम्पूर्ण ध्यान, और वर्तमान में लगा दी इसने अपनी पूरी जान  डिग्रियों के बोझ में यह दबा इंसान, बनना चाहे सी.ए. डॉक्टर वकील जैसा बड़ा इंसान  कभी खुद से कुएं में लगा दी छलांग, तो कभी माँ बाप के सपनो को दी उड़ान  डिग्रियों के बोझ में ये दबा इंसान, बनना चाहे सी.ए. डॉक्टर वकील जैसा बड़ा इंसान  डिग्री लेकर पैसो की अंधी दौड़ ने इसको ऐसा भगाया  कमाई और सिर्फ कमाई, जो भी आयी कम ही आयी  के लालच ने इसको ऐसा भरमाया  दलदल से फिर इसके ये कभी न निकल पाया  चाहकर भी दिल की वीणा को ये न बजा पाया  तारो के इनको रत्तीभर झंकार न दे पाया  बच्चो को वही पढ़ाया जो ये खुद पढ़ कर आया  कर दी उनकी जिंदगी भी वीरान  डिग्रियों के बोझ में ये दबा इंसान  बनना