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डिग्रियों के बोझ में ये दबा इंसान


डिग्रियों के बोझ में ये दबा इंसान,
बनना चाहे सी.ए. डॉक्टर वकील जैसा बड़ा इंसान 
चाहे उड़ना आसमानो में  ये इंसान,
किन्तु किताबो के बोझ ने परो को न दी उड़ान

डिग्रियों के बोझ में ये दबा इंसान,
बनना चाहे सी.ए. डॉक्टर वकील जैसा बड़ा इंसान 

रो रो कर किताबो को यूँ दिल से लगाया,
बचपन फिर जवानी को यूँही गवाया 
रखा भविष्य बनाने में सम्पूर्ण ध्यान,
और वर्तमान में लगा दी इसने अपनी पूरी जान 

डिग्रियों के बोझ में यह दबा इंसान,
बनना चाहे सी.ए. डॉक्टर वकील जैसा बड़ा इंसान 

कभी खुद से कुएं में लगा दी छलांग,
तो कभी माँ बाप के सपनो को दी उड़ान 
डिग्रियों के बोझ में ये दबा इंसान,
बनना चाहे सी.ए. डॉक्टर वकील जैसा बड़ा इंसान 

डिग्री लेकर पैसो की अंधी दौड़ ने इसको ऐसा भगाया 
कमाई और सिर्फ कमाई, जो भी आयी कम ही आयी 
के लालच ने इसको ऐसा भरमाया 
दलदल से फिर इसके ये कभी न निकल पाया 
चाहकर भी दिल की वीणा को ये न बजा पाया 
तारो के इनको रत्तीभर झंकार न दे पाया 
बच्चो को वही पढ़ाया जो ये खुद पढ़ कर आया 
कर दी उनकी जिंदगी भी वीरान 
डिग्रियों के बोझ में ये दबा इंसान 
बनना चाहे सी.ए. डॉक्टर वकील जैसा बड़ा इंसान 

पर हकीकत में दोस्तों, सब कुछ करके भी कुछ न कर पाया ये झंडू इंसान 
डिग्रियों के बोझ में ये दबा इंसान, बनना चाहे सी.ए. डॉक्टर वकील जैसा बड़ा इंसान 
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