ये प्यास बहुत बढ़ी है
सागर भी थोड़ा पड़ता है
अधरों से अब तो तेरे
मेरे मन का प्याला भरता है !!
धड़कन धक् धक् होती है
जब जब तू मुझसे मिलती है
मिश्री जैसी बोली तेरी
मेरे मन का प्याला भरती है !!
भगदड़ भरी आपाधापी में
जब जब ऊबन हो जाती है
फिर मीठी सी मुस्कान ये तेरी
मेरे मन का प्याला भरती है !!
मन ही मन में तेरे आने का
इंतज़ार मै करता हूँ !
कभी सपनो में,
तो कभी मीठी यादो मे,
यूँही मन का प्याला भरता हूँ
ये मन का प्याला भर भर के
फिर फिर क्यूँ खाली हो जाता है !
तेरी राह बिछाये सोच सोच में
मन का हर कोना तुझमें खो जाता है !!
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Very nice....
ReplyDeleteVery very touching....
ReplyDeleteThank You... :)
ReplyDeletemind blowing..
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