काली साड़ी में आज मेरी स्वाती मैडम
काली साड़ी को यदि कोई काली रात कह दे
तो उस रात का चाँद है मेरी स्वाती मैडम
स्वाती सी.ए. इंस्टिट्यूट में काम करती
एक ऐसी सुन्दर लड़की का नाम है
जो अन्य लड़कियों से बिलकुल अलग है
और मुझे अत्यंत प्रिय है
उसके व्यवाहर में वो मधुरता
उसकी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूकता
उसका वो बच्चो को प्यार से कंप्यूटर सिखाना
मुझे मौन होकर सोचने पर मजबूर कर देना
उसका वो मेहरून हाई नैक का फर वाला स्वेटर
उसके ऊपर काली जैकेट और जीन्स का पहनना
उसके होठो पर वो गुलाबी लाइट लिपस्टिक
और लिपस्टिक पर डार्क बॉउंड्री लाइन
जब आती अगरबत्ती सी जल जाती
वो नक्षत्रो की देवी
चक्कर काटते काटते प्रश्न बोलती
होठो से जैसे झड़ते फूल -२
इन फूलो को दौड़कर थामना चाहता
कहीं कोई फूल धरती पर न गिरे -२
मुझे तो वह एक मोमबत्ती लगती है
खुद जलकर दूसरो को रौशनी देती है
तितली सी वो क्लास रूम में उड़ती
फिर थककर अपनी कुर्सी पर जा बैठती
वो बच्चो का उसको घेरकर बैठ जाना
फिर कंप्यूटर के आगे उसका बोलते जाना
मैं तो पीछे खड़ा मंद-मंद मुस्कुराता रहता
और उसके गर्दन के बालो को निहारता
और खुलने पर उनके निशा का इंतज़ार करता
पर कम्बख्त ऐसा दिन कभी न आया
फिर एक दिन ऐसा आया
उसके संग चंद लम्हे गुजरने का मौका मैंने पाया
दीवार पर टंगी घडी को टकटकी लगाकर देखता
फिर उन सुई बहनो से रुक जाने की प्रार्थना करता
कितना अच्छा होता इन जाते लम्हो को मैं रोक पाता
और फिर जब मन करता इनमें वापस लौट आता
अब शुन्य सा यह मेरा हृदय वन
अपने प्रभु के समक्ष यही गुणगान करता है
की उसके बचे जीवन का एक एक क्षण
सतत उत्सव हो जाये
ऐसी मनोरम कामना करता है -२
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Hearty Thanks to You