जो चाहता है वो मिल गया तो भी क्या ? और ना मिला तो भी क्या ? किले जीत लिए सम्राट हो गया तो भी क्या ? और दर दर का भिखारी ही रहा तो भी क्या ? मौत की दस्तक छीन लेगी तेरी सारी उपलब्धियाँ मिट्टी, मिट्टी में मिल जाएगा क्या कमाया और क्या गँवाया निर्मल जल भाँति पारदर्शी हो जाएगा
खुद से पककर जब तू टूटेगा न दिशा न कोई तेरा मंज़र होगा ले जाएँगी हवाएं जिस धरा पे तुझे वही तेरा एक मात्र निशाँ होगा