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Showing posts from 2019

ये मौसम इतना रुखा क्यों इस बारिश में भी सूखा क्यों

ये मौसम इतना रुखा क्यों  इस बारिश में भी सूखा क्यों ज्वाला जो ये फटने को है  फिर अग्नि इसकी शांत है क्यों  इस  शोर में इतना सूनापन है  हर शब्द से पहले ख़ामोशी क्यों  इन आँखों में नींद नहीं जब  तू सपनो को फिर पाले क्यों  सच्चाई पर चलकर भी तू  इन अंगारो से गुजरो क्यों  ये मौसम इतना रुखा क्यों  इस बारिश में भी सूखा क्यों ******

मन का प्याला

ये प्यास बहुत बढ़ी है सागर भी थोड़ा पड़ता है अधरों से अब तो तेरे मेरे मन का प्याला भरता है !! धड़कन धक् धक् होती है जब जब तू मुझसे मिलती है मिश्री जैसी  बोली तेरी मेरे मन का प्याला भरती  है !! भगदड़ भरी आपाधापी में जब जब ऊबन हो जाती है फिर मीठी सी मुस्कान ये तेरी मेरे मन का प्याला भरती  है !! मन ही मन में तेरे आने का इंतज़ार मै करता हूँ ! कभी सपनो में, तो कभी मीठी यादो मे, यूँही मन का प्याला भरता हूँ ये मन का प्याला भर भर के फिर फिर क्यूँ खाली हो जाता है ! तेरी राह बिछाये सोच सोच में मन का हर कोना तुझमें खो जाता है !! *******