Skip to main content

Posts

Showing posts from September, 2022

काश कोई होती

काश कोई होती जिस पर कविता कभी गज़ल लिखते कोई खूबसूरत  हसीन  नाम जिसका कादंबरी कभी मुमताज महल लिखते निर्मल होता मन जिसका पावन पवित्र ऐसा कभी उसको नर्मदा कभी गंगाजल लिखते गहरी आंखें जैसे कोई सागर मंत्रमुग्ध करती उसको कभी झील का कमल लिखते बातें ऐसी जो  अस्तित्व भुला दे डूब कर उसके भावों में जीवन का हल लिखते साथ होता ऐसा जैसे रात में चांदनी भूल कर गमों को अपने साथ उसके अपना कल लिखते छुपा लेती मुझे बचा लेती मुझे जीवन की धूप से साए को उसके अपना आंचल लिखते झटकती सुखाती अपने बालों को ऐसी बरसात की घटाओं का रंग काजल लिखते नहा कर  उसके प्यार में सब पाप मिट जाते ऐसे यार को पहली बरसात का बादल लिखते कोई पछतावा न रहता जीवन में हार जाने का जब नाम उसके साथ अपना पागल लिखते उसकी हंसी को संगीत बना कर जीवन का गीत पल पल लिखते अब वो नही है तो हमे क्या खबर कि हम  क्या क्या लिखते। (मेरे यार कविकास की अधूरी रचना ) *****